साल 1959, जगह – इलाहाबाद (अब प्रयागराज), भारत। सर्दियों की एक रात थी, जब शहर के बाहरी इलाके में एक अजीब घटना घटी, जिसने सबको हैरान कर दिया।
रहस्यमयी आदमी | Mystery Story in Hindi
रात के करीब 11 बजे, पुलिस को रेलवे स्टेशन के पास एक सुनसान मकान से एक अजीब फोन कॉल आया। कॉल करने वाले ने सिर्फ इतना कहा – “वो अभी भी कुर्सी पर बैठा है, लेकिन कुछ बोल नहीं रहा।”
पुलिस तुरंत मौके पर पहुँची। ये मकान काफी पुराना था और कई सालों से बंद पड़ा था। दरवाज़ा अंदर से बंद था, लेकिन जब पुलिस ने दरवाज़ा तोड़ा, तो अंदर का नज़ारा देखकर सब सन्न रह गए।
कमरे के बीचों-बीच एक लकड़ी की कुर्सी पर एक आदमी बैठा था। उसने सफ़ेद रंग का कुर्ता-पायजामा पहना था, और सिर थोड़ा झुका हुआ था। देखने में वह कोई आम आदमी लग रहा था, लेकिन अजीब बात ये थी कि, उसकी सांसें नहीं चल रही थीं, उसकी आंखें खुली थीं, और उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी!
कौन था ये आदमी? – Real Life Based Story in Hindi
पुलिस ने उसकी तलाशी ली। उसकी जेब में सिर्फ़ एक पुराना कागज़ था, जिस पर कुछ अजीब संकेत और संख्याएँ लिखी थीं – “2-7-9-1-X”। उसके पास कोई पहचान पत्र नहीं था, कोई पैसे नहीं थे, और उसके शरीर पर किसी चोट का कोई निशान भी नहीं था।
डॉक्टरों ने जब उसकी जांच की, तो एक और चौंकाने वाली बात सामने आई – उसकी मौत करीब 8-10 घंटे पहले हो चुकी थी। लेकिन मकान कई सालों से बंद पड़ा था, तो फिर ये आदमी अंदर आया कैसे? और अगर वह मरा हुआ था, तो किसी ने पुलिस को फोन कैसे किया?
कॉल किसने किया?
पुलिस ने फोन नंबर ट्रेस करने की कोशिश की, लेकिन जिस नंबर से कॉल आया था, वह किसी के नाम पर रजिस्टर ही नहीं था। जब फोन एक्सचेंज से जांच करवाई गई, तो पता चला कि वह नंबर कई साल पहले बंद हो चुका था!
पुराने मकान का रहस्य
यह मकान भी अपने आप में एक रहस्य था। पड़ोसियों के मुताबिक, यह मकान 1947 से बंद था, जब यहाँ रहने वाले एक बुजुर्ग वैज्ञानिक अचानक गायब हो गए थे। कुछ लोगों का मानना था कि उस मकान में आत्माएँ भटकती हैं।
रहस्य गहराता गया
पुलिस ने उस आदमी की तस्वीरें अखबारों में छपवाईं, ताकि कोई उसे पहचान सके। लेकिन हफ़्तों तक कोई सुराग नहीं मिला।
कुछ दिनों बाद, फॉरेंसिक रिपोर्ट आई, जिसमें एक और चौंकाने वाली बात सामने आई – उसके शरीर में कोई ज़हर या नशीला पदार्थ नहीं था, लेकिन उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से नहीं हुई थी। वह ऐसे मरा था, जैसे किसी ने उसकी आत्मा खींच ली हो!
Mystery का आखिरी सुराग
एक महीने बाद, एक बूढ़ा साधु पुलिस स्टेशन आया। उसने कहा कि उसने अखबार में वह तस्वीर देखी और वह आदमी उसे 20 साल पहले मिला था। साधु के मुताबिक, “उस आदमी ने कहा था कि एक दिन वह किसी बंद कमरे में अकेले मिलेगा, लेकिन किसी को यह समझ नहीं आएगा कि वह वहाँ कैसे पहुँचा।”
ये भूतिया कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है, इसे सिर्फ मिस्ट्री और मनोरंजन के लिए गढ़ा गया है।
पुलिस ने साधु की बात पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन एक बात आज तक रहस्य बनी हुई है – वह आदमी कौन था, वह बंद मकान में कैसे पहुँचा, और आखिर वह फोन कॉल किसने किया था?
आज भी यह मामला एक अनसुलझी गुत्थी है। क्या वह आदमी किसी रहस्यमयी शक्ति का शिकार हुआ? क्या किसी भूत-प्रेत का मामला था? या यह विज्ञान से परे कोई घटना थी? कोई नहीं जानता…
आपका क्या मानना है?