भारत सरकार ने महिलाओं को अपने पैरों पे खड़ा करने के लिए कई योजना चलाई है, लेकिन लखपति दीदी योजना सबसे ज्यादा चर्चा में है। ये योजना खासकर गांव की औरतों को ताकत देने के लिए शुरू की गई है। ताकि वो सिर्फ घर तक ही सीमित ना रहें, बल्कि खुद का रोजगार शुरू करके साल में ₹1 लाख से भी ज्यादा कमाई कर सके।
लखपति दीदी योजना क्या है?
इस योजना का मकसद है कि हर गांव की महिलाएं खुद का काम करके पैसे कमाएं और आत्मनिर्भर बने। सरकार चाहती है की कम से कम 1 करोड़ महिलाएं इस योजना से जुड़ के हर साल ₹1 लाख या उससे ज्यादा की कमाई करे।
योजना का मकसद क्या है?
- औरतो को सिर्फ सहायता नहीं बल्कि नेतृत्व का मौका देना
- गांव में एक नहीं, कई “दीदी” बने जो दूसरों को भी काम सिखाएं
- सम्मान के साथ रोजगार मिले
क्या-क्या काम कर सकती है महिलाएं?
बहुत लोग सोचते है की महिलाएं सिर्फ पापड़ या सिलाई कर सकती है, लेकिन अब सरकार ने नये और डिजिटल काम भी जोड़ें है।
परंपरागत काम:
- अचार, पापड़, अगरबत्ती बनाना
- गाय पालन और दूध बेचना
- सिलाई, कढ़ाई करना
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नया काम:
- WhatsApp पे सामान बेचके कमाई
- YouTube चैनल बना के वीडियो अपलोड करना
- Meesho, Amazon, Flipkart जैसे प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट बेचना
- डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल और QR कोड से पैसा लेना
Lakhpati Didi Scheme 2025 का नया अपडेट
अब सरकार महिलाओं को सिर्फ ट्रेनिंग ही नहीं दे रही, बल्कि उन्हें Tech Sakhi बना रही है – मतलब गांव की एक महिला को मोबाइल और ऐप्स का मास्टर बनाकर बाकी महिलाओं को सिखाया जा रहा है।
साथ ही अब सोलर लाइट, चार्जर और स्मोकलेस चूल्हा जैसे प्रोडक्ट बनाने की ट्रेनिंग भी मिल रही है।
योजना से कैसे जुड़ें?
- अपने गांव के Self Help Group (SHG) में नाम लिखवाएं
- ग्राम पंचायत या ब्लॉक ऑफिस से बात करें
- ट्रेनिंग लेने के बाद छोटे-मोटे काम शुरू करें
- ज़रूरत पड़े तो बैंक या सरकारी स्कीम से लोन भी मिलेगा
कमाई का हिसाब:
मान लीजिए कि एक दीदी रोज़ 1 किलो पापड़ बनाती है, तो उसकी दिन की बिक्री ₹150–₹200 तक हो सकती है।
महीने में ₹5,000–₹6,000 और साल में ₹60,000–₹1,00,000 आराम से हो सकती है।
और अगर 2–3 महिलाएं मिल के काम करें, तो इनकम और भी ज्यादा हो सकती है।
असल जिंदगी की मिसाल:
झारखंड की सीता दीदी ने एक पुरानी सिलाई मशीन से काम शुरू किया था। आज वो अपनी बस्ती की 15 और महिलाओं को ट्रेनिंग देती है और उनकी साल की कमाई ₹2.5 लाख के आसपास है। ये कहानी किसी न्यूज पेपर में नहीं, बल्कि एक लोकल SHG मीटिंग में सामने आई।