समय यात्रा की Real Story in Hindi?

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Real Story in Hindi: ये बात ज़्यादा पुरानी नहीं है, जब 2006 में यूक्रेन की राजधानी कीव में एक नौजवान आदमी बहुत कन्फ्यूज्ड हालत में पाया गया, उसने पुराने ज़माने के कपड़े पहने हुए थे और उसके गले में एक पुराना कैमरा लटका हुआ था। लोगों ने सोचा कि वह पागल है, लेकिन उन्हें क्या पता था कि वह आदमी समय यात्रा (Time Travel) की एक कहानी का हिस्सा बनने जा रहा था।

अक्सर हम एक दूसरे से पूछते रहते हैं कि, Kya time travel possible hai? तो आज के इस लेख में मैं आपको ऐसी ही Real Story बताने जा रहा हूँ।

Real Story in Hindi – Kya Time Travel Possible Hai?

वह आदमी अपना नाम सर्गी पोनिमरेन्को बता रहा था। पुलिस ने जब उससे आईडी मांगी तो उसकी आईडी एक ऐसे देश की थी जो अब मौजूद ही नहीं। जी हाँ, यह आईडी सोवियत संघ की थी। आप सभी को बता दूँ कि यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था और जिस दिन यह घटना हुई, उस दिन सोवियत संघ को टूटे दो दशक बीत चुके थे।

ऐसा नहीं है कि यूक्रेनी पुलिस ने पहले कभी सोवियत संघ का आईडी नहीं देखा था, लेकिन यह शख्स 20-25 साल का लग रहा था और आईडी पर जन्मतिथि 1932 दिख रही थी। सिर्फ जन्मतिथि ही नहीं, आईडी पर दिख रही तस्वीर भी उसी की थी। पूरी घटना पुलिस द्वारा हजम नहीं हो पा रही थी।

Real Story in Hindi
Real Story in Hindi

1932 में पैदा हुआ कोई व्यक्ति 74 साल के बाद भी 20-25 साल का कैसे दिख सकता है? उन्होंने सर्गी से पूछा कि तारीख क्या है तो उन्होंने कुछ देर सोचने के बाद जवाब दिया 23 अप्रैल 1958.

यही वह समय था जब पुलिस को लगा कि यह आदमी पागल है क्यूंकि उस वक़्त टाइम ट्रेवल या समय यात्रा के बारे में कोई सोचता तक नहीं था और वे उसे एक मानसिक अस्पताल में ले गए जहां डॉ. पाब्लो कुत्रिकोव ने उसकी मानसिक हालत का जायज़ा लिया। सर्गी को भी समझ में नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है।

डॉक्टर ने पूछा कि क्या उसे याद है कि वह 1958 से सीधे 2006 में कैसे आया। उसने बताया मैं दिन के वक़्त शहर की सैर पर अच्छी तस्वीरें लेने के लिए बाहर गया, तभी मैंने एक अजीब चीज़ को आकाश में उड़ते हुए देखा।

डॉक्टर ने पूछा कि वह वस्तु कैसी दिखती है, तो उसने कहा कि मैं इसे समझा नहीं सकता, लेकिन मैंने इसे अपने कैमरे में उसकी फोटो खींची है। यह कहते हुए उसने अपना कैमरा बढ़ाया, यह सुनकर डॉक्टर को बहुत आश्चर्य हुआ, लेकिन जब उन्होंने उसके कैमरे को देखा तो आश्चर्य और बढ़ गया, जो एक बहुत पुराना योशिमा फ्लेक्स कैमरा था।

कैमरे की हालत देखकर ऐसा नहीं लग रहा था कि यह कोई पुराना कैमरा है। कैमरे से फोटो निकालने में दिक्कत हो रही थी क्योंकि यह रोल 1970 के दशक में बंद कर दिया गया था।

समय यात्रा के सबूत Real Story

एडम पोसनर नामी एक कैमरा एक्सपर्ट को बुलाया गया, जिसने कैमरे पर लिखित तारीख देखी तो पता चला कि इसका निर्माण 1956 में हुआ था। उन्होंने तस्वीरें विकसित कीं और फिर चीजें और भी कन्फ्यूज्ड हो गईं। फोटो में कीव शहर की बहुत पुरानी तस्वीरें थीं, गाड़ियां, बिल्डिंग्स और गलियां सबकुछ 1956 का था। इसमें कुछ इमारतें ऐसी भी थीं जिन्हें बाद में ध्वस्त कर दिया गया था। उन इमारतों के सामने सर्गी और उसकी प्रेमिका की कुछ तस्वीरें भी थीं।

यह वही सर्गी था जो 48 साल पुरानी तस्वीरों में जैसा दीखता था उसी हालत में, उसी कपड़ों में डॉक्टर के सामने बैठा था। रोल की आखिरी तस्वीर में, जैसा कि सर्गी ने बताया था, एक अज्ञात उड़ती हुई वस्तु देखी गई थी। विश्वास करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था कि इस व्यक्ति ने 1958 से 2006 तक time travel की थी।

अब डॉक्टर इस दुविधा में थे कि यह व्यक्ति कमरे से बाहर चला गया, दरवाजा बंद कर लिया और फिर कभी वापस नहीं आया। यदि वह गायब हो गया था, तो अपने पीछे केवल एक कैमरा, कुछ तस्वीरें और एक अजीब कहानी अपने पीछे छोड़ गया था।

वाकई में क्या टाइम ट्रेवल संभव है?

इस कहानी को सुनने से तो यही लगता है कि वाकई में क्या टाइम ट्रेवल संभव है? लेकिन यह एक ऐसी कहानी है कि जितना अधिक इसे समझने की कोशिश की जाये उतनी ही अधिक कन्फ्यूज्ड करने वाली होती जाती है। जब पुलिस ने मामले की जांच की, तो यह पता चला कि 1960 में, सर्गी पोनिमरेन्को नाम का एक व्यक्ति वास्तव में कीव से गायब हो गया था। जो लड़की उसके साथ तस्वीरों में थी उसका भी पता लगाया गया, जो अब 70 साल की महिला है।

उसने पुलिस को बताया कि 1958 में सर्गी सचमुच गायब हो गया था, लेकिन कुछ ही दिनों में वापस लौट आया। वह उतने ही समय के लिए गायब हुआ, जितने समय तक 2006 में दिखाई दिया। लेकिन इस महिला के मुताबिक, यह 1960 में फिर से गायब हो गया और तब से वापस नहीं आया।

kya time travel sambhav hai in hindi

लेकिन कहानी में एक और मोड़ है। सालों बाद उसे सर्गी की एक फोटो मिली जिसमें एक नोट पर 2050 लिखा था। इस फोटो में सर्गी की उम्र ज़्यादा है, और बैकग्राउंड में कीव शहर दिखाई दे रहा है। फर्क सिर्फ इतना है कि यह कीव शहर ऊँचे-ऊँचे स्काई स्क्रैपर building से भरा है। उसने नोट में यह भी लिखा कि वह जल्द ही वापस आएगा लेकिन किसी कारण से ऐसा नहीं हो सका।

यह दिलचस्प कहानी है सर्गी पोनिमरेन्को की, जो एक यूक्रेनी टीवी शो में दिखाया गया था और जल्द ही यह इंटरनेट पर वायरल हो गया। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कहानी वास्तव में सच है? उससे पहले हम यह जान लें कि क्या टाइम ट्रेवल संभव है या नहीं?

Kya Time Travel Real Hai

इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम सभी एक तरह से टाइम ट्रेवल कर रहे हैं, भविष्य में टाइम ट्रेवल। हमारा कहीं भी बिताया 1 घंटा इस बात को ज़ाहिर करता है कि हम एक-एक घंटा भविष्य यानि फ्यूचर में जा रहे हैं , लेकिन अगर कोई किसी तरह अपने घंटे को आधे घंटे में बिता ले, तो यह दूसरों की तुलना में आधा घंटा फ्यूचर में है।

यह अवधारणा सबसे पहले अल्बर्ट आइंस्टीन ने स्पेशल रिलेटिविटी थ्योरी में दी थी। जिसके अनुसार अंतरिक्ष में समय एक समान रूप से नहीं गुजरता है बल्कि यह वस्तु की गति और उसके द्रव्यमान यानि भार पर निर्भर करता है।

जिस प्रकार ऑक्सीजन का स्तर लग-अलग ऊंचाई पर बदलता रहता है, उसी प्रकार स्पेस में टाइम भी वस्तु की गति और भार पर निर्भर करता है। यदि हम पृथ्वी पर रहते हैं, तो हमारा समय पृथ्वी के भार उसकी गति पर निर्भर करता है। लेकिन अगर हम जुपिटर यानि बृहस्पति ग्रह पर चले जाएँ, जिसका भार धरती से काफी ज़्यादा है, वहां टाइम धीरे गुजरेगा।

थ्योरी के अनुसार, गति जितनी अधिक होगी, समय उतना ही धीमा गुजरेगा, इसलिए यदि हम एक ऐसे अंतरिक्ष यान में बैठे हैं जो प्रकाश की गति से ब्रह्मांड में पांच साल तक यात्रा करे और फिर वापस पृथ्वी पर आ जाए, तो हमारी घड़ी के अनुसार, केवल पाँच वर्ष बीते होंगे, लेकिन पृथ्वी पर 36 वर्ष बीत चुके होंगे। दोनों घड़ियों में नोट किए गए समय के अंतर को Time dilation कहा जाता है।

Time Travel थ्योरी को सिद्ध करने के लिए प्रयोग

आइंस्टीन के इस थ्योरी को सिद्ध करने के लिए 1971 में हेफ़ेल केटिंग प्रयोग भी किया गया था, जिसमें कुल 12 परमाणु घड़ियाँ एक ही समय पर सेट की गई। चार घड़ियों को विमान में लादकर पूर्व की ओर भेजा गया, चार को पश्चिम की ओर और अंतिम चार को पृथ्वी पर छोड़ दिया गया। जब दोनों जहाज़ पृथ्वी का चक्कर लगाकर वापस आयें तो उनकी घड़ियों में काफी अंतर देखा गया।

पूर्व की ओर गए जहाजों की घड़ियाँ जमीन पर मौजूद घड़ियों की तुलना में 59 नैनो सेकंड धीमी थीं, यानी उनका समय धीमी गति से गुजरा था। और पश्चिम की ओर गए जहाजों की घड़ियां 273 नैनोसेकंड आगे बढ़ गई थीं। पूर्व और पश्चिम का अंतर इसलिए आया क्यूंकि हमारी पृथ्वी एंटीक्लॉक यानि घड़ी के विपरीत दिशा में घूम रही है।

Future Time Travel Ki Theory – भविष्य में समय यात्रा का सिद्धांत

भविष्य की समय यात्रा का दूसरा तरीका है, गुरुत्वाकर्षण। आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी के अनुसार, गुरुत्वाकर्षण जितना अधिक होगा, समय उतना ही धीमी गति से गुजरेगा। यह सिद्धांत भी 2010 में एक प्रयोग की मदद से सिद्ध किया गया। शेल्फ के नीचे एक परमाणु घड़ी रखा गया था और दूसरी घड़ी पहली से 33 सेमी ऊपर दूसरे शेल्फ पर, जो घड़ी पृथ्वी के करीब थी, उसपर अधिक गुरुत्वाकर्षण यानि ग्रेविटी था, इसीलिए यह ऊपर की घड़ी के अनुसार धीमी गति से चल रही थी।

यह अंतर बहुत कम था क्योंकि 33 सेमी इतनी अधिक दूरी नहीं है। यह निश्चित है कि यदि हम किसी ऐसी जगह पर जाएं जहां गुरुत्वाकर्षण बहुत अधिक है, जैसे कि ब्लैक होल, तो हमारा समय पृथ्वी पर समय की तुलना में बहुत धीरे गुजरेगा। इसी चीज़ को इंटरस्टेलर फिल्म में दिखाया गया है, जहाँ वो एक ऐसे ग्रह पर होते हैं जो ब्लैक होल के पास होता है। वहां बिताया गया एक घंटा पृथ्वी के सात वर्षों के बराबर है।

गति और गुरुत्वाकर्षण के कारण समय में परिवर्तन इतना आम है कि जीपीएस उपग्रहों satellite जिनमें दुनियां के सबसे सटीक घड़ी स्थापित होते हैं, उनको भी बार-बार पृथ्वी के समय से मिलाया जाता है। क्योंकि ये उपग्रह हमेशा 113 किमी की गति से पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं और इसलिए उनकी घड़ियाँ पीछे हो जाती हैं। यदि उनका समय बार-बार निर्धारित नहीं किया जाये, तो हमारे फ़ोन हमें हमारी सटीक लोकेशन नहीं बता सकते।

ये तो हमने बात की Future Time Travel (भविष्य में समय यात्रा) करने की, ये सैद्धांतिक रूप से संभव है, लेकिन विज्ञान के अनुसार, यह व्यावहारिक रूप से असंभव है। क्योंकि एक अंतरिक्ष यान जो प्रकाश की गति से यात्रा कर सकता है, हमारे लिए इसको बनाना असंभव है। यहां तक ​​कि गुरुत्वाकर्षण के माध्यम से समय यात्रा करने के लिए भी हमें नज़दीकी ब्लैक के पास जाना होगा, जो लगभग 1560 प्रकाश वर्ष दूर है।

टाइम ट्रेवल की कहानी में कितनी सच्चाई है?

सर्गी पोनिमरेन्को की टाइम ट्रेवल की कहानी में कितनी सच्चाई है? वास्तव में, यह कहानी 2012 में एलियंस नामक एक यूक्रेनी टीवी शो में ब्रोडकास्ट की गयी थी। यह कहानी रियलिटी शो टाइम ट्रैवलर के तीसरे एपिसोड में दिखाई गई थी। डॉक्टर के साथ सर्गी पोनिमरेन्को के सीसीटीवी वीडियो में एक बड़ा लूप होल सामने आया। इसमें जो तारीख दिख रही है वो है बुधवार 23 अप्रैल 2006 की तारीख दिखाते हुए था, लेकिन कैलेंडर को देखा जाये तो यह रविवार का दिन था।इसका मतलब है कि वीडियो अलग से रिकॉर्ड किया गया था और समय बाद में एडिट किया गया था।

इसके अलावा सर्गी पोनिमरेन्को की आईडी पर जो मुहर देखी जा सकती है, विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह मुहर उस दौर के मुहर से अलग है। आख़िर में 2050 की कीव शहर की तस्वीर जिसमें बैकग्राउंड में कई इमारतें दिख रही हैं लेकिन अगर आप ध्यान से देखेंगे तो इसमें कई इमारतें हू-बहू एक जैसी हैं जिसका मतलब हुआ कि फोटोशॉप की हुई तस्वीर है।

इस घटना पर दिखाई गयी इसमें किसी भी पुलिस जांच का कोई रिकॉर्ड नहीं है और यदि डॉ. पाब्लो इतने प्रसिद्ध डॉक्टर हैं तो उनका नाम किसी भी इंटरनेट वेबसाइट पर क्यों नहीं है।

बेशक ये कहानी बहुत अच्छी तरह से प्लान की गई थी लेकिन इंटरनेट यूजर्स का मानना है कि इसे केवल शो रेटिंग बढ़ाने के लिए बनायीं गयी थी।

अतीत (past) में टाइम ट्रेवल

टाइम ट्रेवल के विषय में confusion तब उत्पन्न होता है जब हम यह सोचने लगते हैं कि यदि भविष्य में समय यात्रा की जा सकती है तो अतीत यानि पास्ट में भी ऐसा करना संभव होगा। इस अवधारणा को कई साइंस एंड फिक्शन फिल्मों में भी दिखाया गया है। लेकिन वैज्ञानिक समुदाय का मानना ​​है कि ऐसा संभव नहीं है क्योंकि यह एक पैराडॉक्स पैदा करता है।

मान लें कि आप एक टाइम मशीन में बैठकर 10 साल अतीत में चले जाते हैं और इस टाइम मशीन को बनने से रोक देते हैं, तो आप इस स्थिति में कैसे पहुंचे? इस चीज़ को टाइम ट्रेवल पैराडॉक्स कहा जाता है।

2009 में स्टीफन हॉकिंग ने एक पार्टी रखी थी जिसमें वह अकेले मौजूद थे। अजीब बात यह है कि उन्होंने इस पार्टी का निमंत्रण एक साल बाद सार्वजनिक किया और कहा कि अगर कोई समय यात्री है तो वह एक साल पहले पार्टी में जा सकता है। यह समझाने का एक तरीका था कि अतीत में समय यात्रा करना संभव नहीं है

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निचोड़ – Real Story in Hindi

समय यात्रा की Real Story in Hindi: अगर सही मायने में देखा जाये तो टाइम ट्रेवल पर अब तक जो कुछ भी वैज्ञानिकों के पास है वो है सिर्फ थ्योरी यानि सिद्धांत। Time Travelling का कोई प्रमाण या proof किसी के पास भी नहीं है। ये टॉपिक ज़्यादातर मनोरंजन के लिए साइंस एंड फिक्शन movie में ही दिखाई जाती है।

मुझे उम्मीद है कि Kya Time Travel Possible Hai पर मेरा ये आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। बहुत धन्यवाद! यदि कुछ पूछना हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं, और इस पोस्ट को आगे भी सोशल मीडिया पर शेयर करते जाइये। मिलते हैं अगले अद्भुत आर्टिकल में।

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