दुनिया भर में मुसलमान विभिन्न धार्मिक त्योहारों को मनाते हैं जो बहुत हीं आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं। सबसे महत्वपूर्ण और खुशी के अवसरों में से एक बकरीद यानी ईद उल-अधा है, जिसे उर्दू में लोग ईद-उल-अज़हा भी कहते हैं, बकरीद को बलिदान के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है, इसे पूरी दुनियां में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है| लेकिन आखिर Musalman Bakrid Kyu Manate Hain?
ऐसे हीं कुछ और सवाल जैसे मुसलमान लोग बकरा क्यों काटते हैं? बकरीद के पीछे की कहानी क्या है? बकरीद की शुरुआत कैसे हुई? बकरीद का अर्थ क्या है? बकरीद कैसे मनाई जाती है?
इन सारे प्रश्नों के जवाब मुसलमानों के अलावा अन्य धर्मों के लोगों के पास ना के बराबर होती है। तो आइए इस लेख कि शुरुआत करते हैं और कुछ नया जानते हैं।
बकरीद का अर्थ क्या है? / लेख Bakrid Kyu Manate Hain
बकरीद जिसे ईद-उल-अज़हा (बकरीद) (अरबी में عید الاضحیٰ जिसका मतलब क़ुरबानी की ईद) के नाम से भी जाना जाता है, अरबी भाषा में ‘बक़र’ का अर्थ है गाय। कुछ लोग इसे बकरा ईद के नाम से भी जानते हैं। हज़ारों साल से विश्व भर में मुसलमानों द्वारा कुर्बानी के इस त्योहार को बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है।
बकरीद कैसे मनाई जाती है?
बकरीद के दिन मस्जिदों में बड़ी संख्या में मुसलमान इकट्ठा होते हैं। लाखों की संख्या में मुस्लिमों द्वारा सफेद कुर्ते में ईदगाह यानी बड़े मस्जिद में ईद की नमाज़ अदा करने का यह दृश्य बेहद ही सुखद होता है। नमाज़ अदा करने के बाद चौपाया जानवरों जैसे- ऊंट, बक़रा, खस्सी, भेड़ इत्यादि की कुर्बानी दी जाती है।
मुसलमान लोग बकरीद क्यों मनाते हैं? / Bakrid Kyu Manate Hain
कुरान यानी अल्लाह के बोल के अनुसार अल्लाह के संदेशवाहक यानी इब्राहिम जो इस्लाम, यहूदी धर्म और ईसाई धर्म में एक अहम व्यक्ति हैं अपने प्यारे बेटे हज़रत इस्माइल को इसी दिन अल्लाह के हुक्म पर अल्लाह कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने हस्तक्षेप किया और इस्माइल को एक बकरे के साथ बदल दिया और इब्राहिम के बेटे के जीवन को बख्श दिया,
क्योंकि अल्लाह ने हज़रत इब्राहिम और उनके बेटे हजरत इस्माइल की परीक्षा ली थी जिसमें वो पास हो गए, तो यह पर्व हज़रत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में अल्लाह के हुक्म से मुसलमानों द्वारा मनाया जाता है।
बकरीद कब मनाते हैं? / लेख Bakrid Kyu Manate Hain
बकरीद इस्लामिक महीने धुल हिज्जाह के 10 वें दिन मनाते हैं, जो मक्का के पवित्र शहर में वार्षिक हज यात्रा के पूरा होता है, उत्सव आम तौर पर तीन दिनों तक चलता है, 2023 में India में बकरीद 28th June या 29th June को मनाया जायेगा I
बकरीद के पीछे की कहानी क्या है?
एक बार की बात है जब हजरत इब्राहिम (हजरत इब्राहिम अलैहि सलाम) की कोई भी संतान न थी, आखिरकार बुढ़ापे में अल्लाह के करम से उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति हुई।
उन्होंने अपने इस बेटे का नाम इस्माइल रखा। हजरत इब्राहिम अपनी इस इकलौती सन्तान से बेहद प्रेम करते थे। और एक दिन अल्लाह ने हजरत इब्राहिम को सपने में उनसे उनकी प्रिय चीज की कुर्बानी देने को कहा।
असल परीक्षा
अब क्यूंकि पूरे जहाँ में हजरत इब्राहिम को सबसे अधिक लगाव, प्रेम अपने बेटे इस्माइल से हीं था, उन्होंने निश्चय किया कि वह अल्लाह के लिए अपने पुत्र की कुर्बानी देंगें, तब उन्होनें इस बारे में जब अपने प्यारे बेटे इस्माइल से ज़िक्र किया तो उनके छोटे से प्यारे बेटे ने कहा कि जब अल्लाह का ये हुक्म है तो मैं खुशी से इसमें राज़ी हूँ, और कहा कि बेशक इसमें हमारे लिए बेहतर है तभी अल्लाह ने ये हुक्म दिया।
शैतान का बहकाना
जब हजरत इब्राहिम पुत्र की कुर्बानी देने जा रहे थे तो उन्हें रास्ते में एक शैतान मिला। जो उन्हें बहका कर रोकने की कोशिश करता है परंतु हजरत इब्राहिम उस शैतान का सामना करते हुए आगे बढ़ जाते हैं।
जब कुर्बानी का समय आया तो बेटे ने कहा के पिताजी आप अपनी आंखों में पट्टी बांध लीजिये ताकि पुत्र की मृत्यु को अपनी आंखों से ना देख सके।
परीक्षा में पास होना
तो जैसे ही हजरत इब्राहिम छूरी (चाकू) चलाने लगे और उन्होंने अल्लाह का नाम लिया, इसी बीच छूरी चलाने के दौरान एक फ़रिश्ते ने आकर छूरी के सामने इस्माइल के जगह पर एक बकरे की गर्दन को लगा दिया। जिससे बकरे की क़ुर्बानी हो गयी और इस तरह इस्माइल की जान बच गई।
अल्लाह ने हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेने के लिए ऐसा किया, और इस परीक्षा में हजरत इब्राहिम सफल हो गए। और तभी से कुर्बानी के लिए मुसलमानों को अपने माल की क़ुर्बानी के रूप में चौपाया जानवरों की कुर्बानी दी जाती है।
कुर्बानी के बारे अल्लाह क्या कहते हैं? / लेख Bakrid Kyu Manate Hain
अल्लाह क़ुरान के सूरह-हज, आयत-37 में कहते हैं – “न उनका मांस, और न ही उनका खून अल्लाह तक पहुंचता है, लेकिन यह आपका तक़वा है जो अल्लाह तक पहुंचता है”
और तक़वा(अरबी शब्द) का मतलब होता है- अल्लाह के हुक्म के मुताबिक़ गलत चीज़ों से बचना, दूर रहना, अल्लाह की हुक्म को मानना।
Bakrid Kyu Manate Hain समझने के लिए वीडियो
बकरीद से सम्बंधित कुछ और अहम बातें
हज
धुल हिजाह महीने के पहले दस दिनों के दौरान, जो मुसलमान आर्थिक और शारीरिक रूप से सक्षम हैं, वे इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक हज तीर्थयात्रा करते हैं, यह तीर्थयात्रा पैगंबर इब्राहिम के नक्शेकदम पर चलते हुए की जाती है, पूरी दुनिया से आये मुसलमान एक साथ अल्लाह से अपने गुनाहों की माफ़ी मांगते हैं।
नमाज़
ईद उल-अधा की सुबह-सुबह सारे मुसलमान नहा धुला कर, साफ़ और अच्छे कपडे पहन कर मस्जिदों या ईद-गाह में इकट्ठा होते हैं, यहाँ मुसलमान मर्द और औरत दोनों (अलग-अलग पर्दे में) ईद-गाह में नमाज़ अदा करते हैं, फिर खुतबा यानी अच्छी बातें जो इमाम कहते हैं वो सुनते हैं, फिर एक दूसरे को मुबारकबाद देते हुए अपने-अपने घर जाते हैं।
क़ुरबानी
नमाज़ के बाद जो लोग हैसियत रखते हैं वो एक स्वस्थ जानवर, जैसे कि भेड़, बकरी या ऊंट की क़ुरबानी करते हैं, और मांस को तीन भागों में बांटा जाता है: परिवार के लिए एक तिहाई, दोस्तों और पड़ोसियों के लिए एक तिहाई, और ग़रीब या जरूरतमंद लोगों के लिए एक तिहाई।
दावत और उत्सव
क़ुर्बानी के बाद, परिवार और दोस्त भोजन को साझा करने के लिए एक साथ आते हैं, जिसमें क़ुरबानी किए गए जानवर के मांस से बने डिश शामिल होते हैं। वातावरण खुशी और प्यार से भरा हुआ होता है क्योंकि लोग अभिवादन का आदान-प्रदान करते हैं, एक-दूसरे के घरों का दौरा करते हैं, और उपहार देते हैं।
Conclusion (बकरीद क्यों मनाते हैं?- Bakrid kyu manate hain संछिप्त में)
Bakrid Kyu Manate Hain: बक़रीद से गहरी सबक और सीख मिलती है जो इसके धार्मिक महत्व से परे है, यह मुसलमानों को अल्लाह के फैसले में विश्वास और आज्ञाकारिता का महत्व सिखाता है, यह बलिदान, उदारता और जरूरतमंद लोगों की देखभाल के गुणों पर जोर देता है, बकरीद मुसलमानों को अपने धन, समय और संसाधनों को दूसरों के साथ साझा करने के लिए प्रोत्साहित करता है, मुस्लिम समुदाय के भीतर एकता और करुणा की भावना को बढ़ावा देता है।
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