कैश में ही मिलेगा पेट्रोल-डीजल: किन जिलों में डिजिटल पेमेंट पर अस्थायी रोक | Petrol Pump UPI Ban

कैश में ही मिलेगा पेट्रोल-डीजल: किन जिलों में डिजिटल पेमेंट पर अस्थायी रोक | Petrol Pump UPI Ban

देश के कुछ चुनिंदा जिलों में सरकार ने पेट्रोल और डीजल की खरीद पर डिजिटल भुगतान (UPI, क्रेडिट/डेबिट कार्ड) को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है। अब इन इलाकों में केवल नकद (Cash) भुगतान ही मान्य होगा। इस कदम ने आम लोगों और पेट्रोल पंप ऑपरेटरों के बीच चिंता और सवालों को जन्म दिया है।

🧾 डिजिटल पेमेंट पर क्यों लगी रोक? – Petrol Pump UPI Ban

सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय नेटवर्क समस्याओं और डिजिटल धोखाधड़ी की बढ़ती शिकायतों के कारण लिया गया है। कई बार पेमेंट कट तो जाता है, लेकिन पंप पर पुष्टि नहीं हो पाती, जिससे ग्राहक और विक्रेता दोनों को परेशानी होती है। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की अस्थिरता भी एक बड़ी वजह है।

🗺️ किन जिलों में लागू हुआ है यह नियम?

अब तक जानकारी के अनुसार, निम्न जिलों में डिजिटल पेमेंट की सुविधा अस्थायी रूप से बंद की गई है:

  • उत्तर प्रदेश: अयोध्या
  • बिहार: दरभंगा
  • मध्य प्रदेश: बालाघाट
  • झारखंड: धनबाद
  • छत्तीसगढ़: बिलासपुर
  • राजस्थान: बीकानेर
  • ओडिशा: कटक

इन जिलों में ग्राहकों को सलाह दी गई है कि वे पेट्रोल पंप पर जाने से पहले अपने पास पर्याप्त नकद राशि रखें।

📉 उपभोक्ताओं पर असर

इस फैसले से उन लोगों को ज्यादा दिक्कत हो रही है जो रोजाना डिजिटल पेमेंट पर निर्भर रहते हैं। छात्रों, नौकरीपेशा लोगों और बुज़ुर्गों को अचानक नकद का इंतज़ाम करना पड़ रहा है। पेट्रोल पंप कर्मचारियों को भी अतिरिक्त दबाव का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें नकद लेन-देन को संभालना पड़ रहा है।

🧠 क्या यह फैसला स्थायी है?

नहीं। अधिकारियों के अनुसार, यह एक अस्थायी कदम है जिसे जल्दी ही वापस लिया जा सकता है। स्थिति सामान्य होते ही डिजिटल पेमेंट सेवाएं फिर से शुरू कर दी जाएंगी।

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💡 क्या करें ग्राहक?

  • पेट्रोल भरवाने से पहले नकद की उपलब्धता सुनिश्चित करें।
  • पेट्रोल पंप पर UPI या कार्ड से पेमेंट करने की कोशिश न करें, जब तक नया निर्देश न मिले।
  • बैंक से निकासी करते समय भीड़ से बचने के लिए समय चुनें।

🔚 निष्कर्ष

डिजिटल इंडिया अभियान ने देश में कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा दिया है, लेकिन तकनीकी दिक्कतें और सुरक्षा चिंताएं अब भी एक बड़ी चुनौती हैं। सरकार को चाहिए कि वह तकनीकी ढांचे को मजबूत बनाए ताकि भविष्य में ऐसे अस्थायी प्रतिबंध की आवश्यकता न पड़े।

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