साल 2006 की सर्दियों में, नोएडा के निठारी गांव की गलियों में अजीब सी खामोशी छाई हुई थी। कई महीनों से गांव के गरीब परिवार अपने गायब होते बच्चों को लेकर परेशान थे। कभी कोई लड़की गायब होती, तो कभी कोई लड़का। माँ-बाप थानों के चक्कर काटते, पुलिस शिकायतें लिखती, लेकिन नतीजा हर बार “हम जांच कर रहे हैं” तक ही सीमित रहता।
धीरे-धीरे गांव वालों का शक एक बड़े से बंगले की ओर मुड़ने लगा, D-5, सेक्टर 31, जहां एक अमीर बिजनेस मैन मोनिंदर सिंह पंढेर अपने नौकर सुरेंद्र कोली के साथ रहता था। यह कोठी गांव के बाकी घरों से एकदम अलग, ऊँची दीवारों और लोहे के गेट से घिरी हुई थी। कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता था कि इसके भीतर इतिहास की सबसे खौफनाक सच्चाई दफन है।
गटर से आई दुर्गंध और खुल गया रहस्य👣
दिसंबर 2006 की एक सुबह, जब एक महिला, पुलिस स्टेशन पहुंची और बार-बार कहने लगी कि उसकी बेटी इसी कोठी के अंदर गई थी और फिर कभी नहीं लौटी, तब जाकर पुलिस ने ढीली-ढाली जांच को गंभीरता से लिया। जब पुलिस ने कोठी के पास की नाली की खुदाई करवाई, तो जो निकला, उसने इंसानियत को हिला कर रख दिया।
नाली से इंसानी हड्डियाँ, खोपड़ियाँ और शरीर के अन्य टुकड़े निकलने लगे। पुलिस अधिकारियों के चेहरे पीले पड़ गए। यह कोई दो-चार हत्याओं का मामला नहीं था, यह तो एक के बाद एक मासूमों की मौत की सीरियल स्टोरी थी।
नौकर सुरेंद्र कोली की कहानी🔪
जांच में सामने आया कि मोनिंदर पंढेर का नौकर सुरेंद्र कोली ही इस भयावह सच्चाई का मुख्य पात्र था। वह बच्चों को लालच देकर कोठी के अंदर बुलाता, फिर उनका बलात्कार करता और बेरहमी से उनकी हत्या कर देता। कई मामलों में उसने हत्या के बाद शव के अंग खाए भी थे – जी हां, कैनिबलिज्म। यह बात सुनकर देशभर के लोग सिहर उठे।
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कोली ने कबूल किया कि उसे ऐसा करने से कोई डर नहीं लगता था। वो कहता था, “मुझे लगता था, ये सब मुझसे अपने आप हो रहा है।”
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, पुलिस ने नाली और आसपास से कुल 19 शवों के अवशेष बरामद किए। ये सब लापता बच्चे थे, जिनके माता-पिता ने थाने में रिपोर्ट लिखवाई थी, लेकिन पुलिस ने कभी गंभीरता से नहीं लिया।
इनमें ज्यादातर पीड़ित 10 से 14 साल की उम्र के गरीब लड़के और लड़कियां थीं, जिनकी आवाज शायद कभी सुनी ही नहीं गई।
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Nithari Case में क्या सजा सुनाई गयी?⚖️
पूरा देश इस मामले से हिल चुका था। लोगों ने सड़क पर उतरकर CBI जांच की मांग की और सरकार को मजबूर होना पड़ा। केस CBI को सौंपा गया। कोली को गिरफ्तार किया गया और पूछताछ में उसने कई दिल दहला देने वाले राज उगले।
सुरेंद्र कोली को कई मामलों में फांसी की सज़ा सुनाई गई। मोनिंदर पंढेर को शुरू में बरी कर दिया गया, लेकिन बाद में कुछ मामलों में उसे भी दोषी पाया गया।
निठारी हत्याकांड ने सिर्फ एक दरिंदे की कहानी नहीं बताई, बल्कि यह हमारे सिस्टम की असफलता, पुलिस की लापरवाही और गरीबों की अनदेखी का आईना भी बना। अगर पुलिस ने पहले ही रिपोर्ट्स पर ध्यान दिया होता, तो शायद इतनी जानें नहीं जातीं।
इस कहानी से क्या सबक मिलता है?🔍
- हर लापता बच्चे की रिपोर्ट को गंभीरता से लेना चाहिए।
- समाज को चाहिए कि वो गरीबों की पीड़ा को भी उतना ही महत्व दे, जितना अमीरों की समस्याओं को देता है।
- अपराध का चेहरा किसी भी दीवार के पीछे छिपा हो सकता है, चाहे वो कोठी हो या झोपड़ी।
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निष्कर्ष | Real Crime Story in Hindi📌
निठारी हत्याकांड कोई साधारण मर्डर केस नहीं था। यह एक ऐसी हॉरर स्टोरी थी जो हकीकत में घटी, जिसमें मासूम बच्चों की चीखें, एक दरिंदे की दरिंदगी और पूरे सिस्टम की लापरवाही शामिल थी। आज भी जब कोई “निठारी” का नाम लेता है, तो खून ठंडा हो जाता है। यह केस इतिहास में हमेशा एक काली छाया की तरह दर्ज रहेगा।