RO Ka Pani Pine Ke Nuksan | घातक परिणाम

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आज हम एक बहुत हीं गंभीर टॉपिक पे बात करने वाले हैं । RO Ka Pani Pine Ke Nuksan के बारे में जानेंगे। RO का पानी आपके और आपके परिवार के सेहत के लिए बहुत खतरनाक है। आइये आसान भाषा में विज्ञान के सहारे समझते हैं।

R.O कैसे हमारे सेहत के लिए खतरनाक है, इससे बचने का उपाए क्या है? ये सब हम पूरे विस्तार से समझेंगे। पर इससे पहले हम कुछ basic चीज़ें समझ लेते हैं, ताकि सभी बातें सही से समझ आ जाएँ।

RO Kya Hota Hai (RO क्या होता है)?

R.O का मतलब होता है Reverse Osmosis, जिसमें हाई प्रेशर से एक बहुत ही बारीक़ फ़िल्टर से पानी को गुज़ारा जाता है। जिससे पानी में मौजूद अशुद्धियाँ फ़िल्टर हो जाती हैं।

RO जो हम सब use करते हैं, इसमें बहुत तरह के फ़िल्टर लगे रहते हैं, जो step by step फ़िल्टर का काम करते हैं। इसमें सबसे पहले PP स्पन प्री फ़िल्टर लगा होता है, जो बड़े पार्टिकल को हटाता है, इसके बाद एक हाई प्रेशर पंप के ज़रिये semipermeable membrane यानि अर्धपारगम्य झिल्ली को जाता है, जो पानी से छोटे से छोटे पार्टिकल तक को फ़िल्टर कर देता है।

इसके बाद पानी पोस्ट कार्बन फ़िल्टर में जाता है, जहाँ पानी में मौजूद केमिकल या दुर्गन्ध या क्लोरीन को हटाया जाता है।

TDS Kya Hota Hai (TDS क्या होता है)?

TDS का मतलब टोटल डिसॉल्व्ड सॉलिड है। यह पानी में खनिज, लवण, धातु और अन्य घुले हुए ठोस पदार्थों सहित सभी अकार्बनिक और कार्बनिक पदार्थों के मिश्रण का माप है। टीडीएस आमतौर पर मिलीग्राम प्रति लीटर (mg/l) या पार्ट्स प्रति मिलियन (ppm) में व्यक्त किया जाता है।

इसका उपयोग आमतौर पर पानी की गुणवत्ता के संकेतक के रूप में किया जाता है और यह पानी में ठोस चीज़ें कितनी घुली हुई हैं, इसकी जानकारी देता है। टीडीएस का ज़्यादा हो जाना पानी के स्वाद, गंध और रंग को प्रभावित कर सकता है। टीडीएस मापने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस आती है जिसे टीडीएस मीटर कहते हैं।

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RO का पानी

हमारे शरीर का 70-80 प्रतिशत पानी है, हमारा शरीर दिखने में ठोस लगता है लेकिन असल में ये पानी है। पानी सबसे ज़रूरी चीज़ है ये सब जानते हैं। टीडीएस यानि टोटल डिसॉल्वड सॉलिड्स।

पानी के अंदर बहुत सारे मिनरल यानि तत्व घुले हुए हैं, जो हमारे शरीर को चलाने में मदद करते हैं। कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम और जाने कई सारे ऐसे vital minerals जिनके बिना हमारा शरीर काम नहीं कर सकता। इन सारे minerals या तत्व और जो कुछ भी ठोस पानी में घुला हुआ है, के मिश्रण को टीडीएस कहा जाता है।

टीडीएस को हर RO बनाने वाली कंपनियां एक villain यानि ख़लनायक के तौर पे दिखाती हैं। जैसे “अरे पानी में तो टीडीएस ज़्यादा है, आपको पथरी होगा, आपके हेल्थ रिस्क हैं” वो सारी बातें ग़लत हैं। टीडीएस बहुत काम की चीज़ है। WHO ने साबित किया है कि पीने वाले पानी का कम से कम टीडीएस 300 ppm होना चाहिए। यहाँ मैं WHO का एक टीडीएस गाइड टेबल दे रहा हूँ।

W.H.O Water TDS Guide

TDS level (milligram per litre)Rating
300-600Good
600-900Fair
900-1,200Poor
Above 1,200Unacceptable

तो टेबल में आपने देखा कि टीडीएस अगर 300 से 600 ppm है तो बहुत अच्छी बात है, पर अच्छे स्वाद के चक्कर में कम्पनियाँ टीडीएस को बहुत कम यानी 80 ppm से भी कम, बल्कि कई कम्पनियाँ 30-40 ppm तक कर देती हैं।

कोई भी जो RO का प्लांट होता है उसके पानी के टीडीएस को अगर आप टीडीएस मीटर से चेक करेंगे तो वो 80 ppm से कम होता है। जिसको WHO demineralized water कहता है यानि बिना मिनरल का पानी, जैसा पानी हम बैटरी में डालते हैं, जी बिल्कुल डिस्टिल्ड वाटर।

अब खाने को तो हम छेड़ ही चुके हैं, मिलावट पे मिलावट, और स्वाद के चक्कर में बर्गर, पिज़्जा, और पता नहीं क्या क्या खा रहे हैं, कोई चीज़ असली खाने में नहीं रही। कम से कम पानी को तो छोड़ दो, पानी को भी स्वाद के चक्कर में unhealthy बनाया जा रहा है।

RO ka pani pine ke nuksan
RO Ka Pani Pine Ke Nuksan

RO का पानी पीने के नुकसान

टीडीएस कम रखना हमारे सेहत के लिए कैसे घातक है इसको समझते हैं। WHO के वेबसाइट पे ही 12 नुकसान लिखे गए हैं, जो मैं आपको बताता हूँ।

शरीर के मिनरल्स का पेशाब में आना

हमारा किडनी जब खून को फ़िल्टर करता है और गंदगियों को पानी यानी पेशाब के ज़रिये बाहर निकलता है। इस पेशाब या पानी में मिनरल्स भी होते हैं, अगर हम कम टीडीएस वाला पानी पीते हैं तो उसमें मिनरल्स की कमी के वजह से हमारा शरीर ब्लड फिल्ट्रेशन के समय पानी में मिनरल्स मिलाता है। जिससे हमारे बॉडी में मिनरल्स की कमी होने लगती है।

जिसके वजह से हमारे शरीर के पानी में मिनरल्स की कमी हो जाती है, जिससे हमारे ऑर्गन्स पर बहुत बुरा असर पड़ता है। शुरुआती दौर में सुस्ती, कमज़ोरी, सर दर्द जैसे शिकायत होते हैं, लेकिन बाद में मांसपेशियों में क्रैम्प, और हार्ट रेट में गड़बड़ी की शिकायत होती है।

RO पानी के वजह से रेड ब्लड सेल की कमी

रेड ब्लड सेल यानि लाल रक्त कणिकाएं भी कुछ सॉलिड्स या मिनरल्स के मिश्रण से बने होते हैं। जब हम काम टीडीएस वाला पानी पीते हैं तो रेड ब्लड सेल्स की कमी होने लगती है, जिसके खून की कमी यानि एनीमिया, तथा हीमोग्लोबिन की कमी होती है।

RO पानी के वजह से हाई ब्लड प्रेशर

आजकल हाई BP किसी भी उम्र में, और बहुत ज़्यादा लोगों को हो रहा है। इसका भी कारण यही है, कम टीडीएस पानी पीने के वजह से ब्लड के प्रेशर को बनाये रखने वाले जो मिनरल्स हैं वो कम हो जाते हैं।

वाइटल ऑर्गन्स के फंक्शन में गड़बड़ी

हमारे शरीर के जो वाइटल ऑर्गन्स हैं जैसे दिमाग, किडनी, दिल, लिवर इन सबकी क्षमता काम हो जाती है।

RO पानी के वजह से हार्ट अटैक होना

मिनरल्स की कमी के वजह से हार्ट रेट बहुत ज़्यादा बिगड़ते हैं, जिसके वजह से हार्ट अटैक होने के ज़्यादा चांस होते हैं। हार्ट यानि दिल के लिए पोटैशियम और मैग्नीशियम बहुत ही ज़रूरी चीज़ हैं, जो हाई टीडीएस वाले पानी में होते हैं।

RO पानी के वजह से बच्चों के हड्डियों का कमज़ोर होकर टूटना

RO का पानी पीने के कारण बच्चों में फ्रैक्चर यानि हड्डी के टूटने की समस्या बहुत आम हो गयी हैं। RO वाटर या कम टीडीएस वाले पानी में कैल्शियम की मात्रा बहुत काम होती है, जिसके पीने से शरीर में कैल्शियम कम हो जाता है और हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं।

बच्चे का बहुत कमज़ोर पैदा होना

प्रेग्नेंट महिलाएं अगर RO का पानी पीती हैं, तो उनमें प्री-टर्म डिलीवरी यानि बच्चे का 9 महीने से पहले पैदा हो जाने के केस ज़्यादा आते हैं। और ऐसे बच्चे का वज़न बहुत कम होता है। आपके घर में या जानने में कोई प्रेग्नेंट महिला हैं, तो उन्हें RO या कम TDS वाला पानी नहीं दीजियेगा।

कुछ तरह के कैंसर

कुछ कैंसर ऐसे हैं जो कम टीडीएस यानि कम मिनरल वाले पानी पीने से होते हैं। क्यूंकि जो टीडीएस होता है उसमें बहुत सारे मिनरल्स हैं, जो हमारे शरीर को एन्टी कैंसर प्रोपर्टी देते हैं, यानी हमें कैंसर से बचाते हैं। तो अगर आप वो मिनरल्स निकाल देते हैं तो कैंसर के चांस बढ़ जाते हैं।

RO पानी के वजह से प्रेग्नेंसी Disorder

जो महिलाएं RO का पानी पीती है उनमें प्रेग्नेंसी के समय और बाद में हाई BP की समस्या हो सकती है। इसके साथ-साथ मेन्टल डिसऑर्डर भी हो सकता है।

RO पानी के वजह से थायरॉइड डिसऑर्डर

RO का पानी यानि कम टीडीएस वाले पानी पीने से थायरॉइड ग्लैंड भी सही से काम करना बंद कर सकता है।

RO पानी के वजह से पेट की समस्या

पेट की समस्या से आज बहुत लोग पीड़ित हैं। जैसे किसीको एसिडिटी की समस्या है, कोई ज़रा सा भारी या बाहर का खाना खा लेता है तो उसको पेट की समस्या शुरू हो जाती है।

हमारे पेट में मौजूद जूस जो खाना को पचाते हैं, पानी में मौजूद मिनरल्स के सहायता से बनते हैं। लेकिन जब आप कम टीडीएस का या RO का पानी लेते हैं, तो ऐसे जूस कम मात्रा में बनती हैं। जिसके कारण पेट में एसिड बढ़ जाता है और एसिडिटी की शिकायत होती है।

RO ka pani pine ke nuksan को समझने के लिए एक वीडियो

कौन सा Purifier लें? / Kaun Sa RO Achcha Hota Hai?

चलिए अब समझते हैं कि RO, UV और दूसरे फ़िल्टर में अंतर क्या है? पानी को हमें शुद्ध यानि purify करना है यानि जो हानिकारक बैक्टीरिया या जर्म्स, केमिकल्स या और कोई अशुद्धियाँ जो पानी में हैं उनको हटाना है। पानी को हमें डिस्टिल नहीं करना है।

लेकिन लोग किसी भी फ़िल्टर को RO कह देते हैं, पर ये चीज़ें अलग-अलग होती हैं। जो सिंपल purifier होती हैं इनमें PP प्री फ़िल्टर, कार्बन फ़िल्टर तथा UV यानि अल्ट्रा वायलेट फ़िल्टर होती हैं। ये फिल्टर्स पानी के टीडीएस के साथ छेड़-छाड़ नहीं करतीं, सिर्फ पानी को शुद्ध बनाती हैं।

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RO अलग है, इसमें एक मेम्ब्रेन होता है जिससे पंप के सहायता से हाई प्रेशर से पानी गुज़ारा जाता है। इस प्रक्रिया में बैक्टीरिया के साथ-साथ सारे ज़रूरी मिनरल्स भी फ़िल्टर हो कर रिजेक्ट वाटर के साथ बाहर आ जाते हैं। इस तरह पानी का टीडीएस एकदम काम हो जाता है।

कुछ कंपनियां अब टीडीएस कण्ट्रोल करने के लिए टीडीएस कंट्रोलर भी RO मशीन के साथ दे रही हैं। जिसकी सहायता से कम टीडीएस वाले पानी में हाई टीडीएस वाला पानी मिलाया जाता है, ताकि टीडीएस को थोड़ा बढ़ाया जा सके।

पर मैं कहता हूँ कि फिर RO मेम्ब्रेन की आवश्यकता ही क्या है। यानी जब आपके क्षेत्र के ग्राउंड वाटर का टीडीएस 300-600 ppm के बीच है तो RO लगाने की क्या ज़रुरत है। आप सिर्फ एक नार्मल फ़िल्टर मशीन, या KENT का UV+UF वाटर फ़िल्टर ले सकते हैं। जिसमें सिर्फ प्री फ़िल्टर, कार्बन फ़िल्टर तथा UV फ़िल्टर लगा हो।

RO टीडीएस कितना होना चाहिए?

टीडीएस यानि टोटल डिसॉल्वड सॉलिड्स पानी के अंदर कितना होना चाहिए? आप अगर RO कंपनियों के वेबसाइट पे जायेंगे, तो वहां ये लोग बता रखे हैं कि टीडीएस जितना कम हो उतना अच्छा। या कोई-कोई कंपनी जब सरकार उनको लताड़ मारती है तो कहते हैं कि ” हाँ 200 से 400 ppm टीडीएस अच्छा है “, लेकिन ये सब तोड़ मरोड़ के बताते हैं।

जब WHO के वेबसाइट पे आप जाते हैं तो देखते हैं कि टीडीएस रेंज सबसे अच्छा (300-600)ppm माना जाता है। 1200 ppm से ज़्यादा का पानी हेल्थ रिस्क में आता है। पर इतना ज़्यादा टीडीएस न नल का, न ज़मीन का, न सप्लाई वाला पानी होता है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल जो भारत सरकार की एक संस्था है, जो एम्प्लॉयमेंट और हेल्थ की देखभाल का काम करता है। इसके रिपोर्ट के अनुसार जिस भी क्षेत्र के पानी का टीडीएस 500 ppm या इससे कम है, वहां RO प्लांट या जो डिब्बे आते हैं वो सब बैन होना चाहिए। – The Hindu न्यूज़

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निचोड़ – RO Ka Pani Pine Ke Nuksan

जल हीं जीवन है। पानी के साथ खिलवाड़ बंद करना है। RO मशीन छोड़कर किसी भी कंपनी का सिंपल UV फ़िल्टर ही लेना है। TDS मीटर खरीदना है और घर का, सप्लाई वाले पानी का टीडीएस चेक करना है। 300-600 ppm टीडीएस हो, या 900 तक भी हो तो डरना नहीं है, वो पानी आपके सेहत के लिए अच्छा है। कोई किडनी का पत्थर नहीं होने वाला।

मुझे उम्मीद है मेरी यह पोस्ट RO Ka Pani Pine Ke Nuksan से आपको ज़रूर फायदा होगा, अपनों के साथ सोशल मीडिया पर इसे शेयर करें। अपना और अपनों का ख़याल रखें, मिलते हैं ऐसे ही किसी जानकारी से भरे पोस्ट में, शुक्रिया!

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