Titan और Titanic दो अलग जहाज़ लेकिन किस्मत एक जैसी एक तकरीबन 1100 साल पहले करीब 1500 मुसाफिरों के साथ समुन्द्र में डूब गया और ये समुन्द्र था नार्थ अटलांटिक ओसियन और दूसरी यानि Oceangate Titan पनडुब्बी Titanic के करीब जाकर फटी, अलग टेक्नोलॉजी, अलग दौर, लेकिन दोनों के साथ एक ही हश्र हुआ।
आखिर ये हुआ क्यों? कौन से ऐसे वजह थे जिनके बिना पे ऐसा एक्सीडेंट वो भी इस सदी में जब टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस्ड हो चुकी है, ऐसा क्यों हुआ? आइये आसान भाषा में Pandubbi News जानते हैं।
पहली जहाज़ टाइटैनिक के बारे में तकरीबन आप सब को पता होगा। आज हम ख़ास बात करते हैं टाइटन जहाज़ की, ये एक छोटा सा सबमर्सिबल जहाज़ था, जिसे सबमेरीन भी कहा जाता है, इस पनडुब्बी को मुख्य रूप से इसलिए बनाया गया था कि, वो सारे लोग जो डूबे हुए टाइटैनिक जहाज़ का मलबा समुन्द्र के अंदर जा कर देखना चाहते हैं, वो अपने काम को अंजाम दे सकें।
टेक्निकल बातें ( Pandubbi News )
हर पनडुब्बी की अपनी छमता होती है कि पानी के कितनी गहरायी तक वो जा सकती है, क्यूंकि समुन्द्र के अंदर आप जैसे-जैसे भीतर जाते हैं समुन्द्र का दबाव बढ़ता जाता है, होता तो ये पानी है लेकिन ये सिर्फ चंद फुट या मीटर का पानी नहीं होता, ये कई किलोमीटर पानी होता है।
समुन्द्र के अंदर टाइटैनिक जहाँ दफ़न है, वो जगह समुन्द्र के सतह से करीब 4 किलोमीटर अंदर है, यानी आप समझ लें कि दुबई के 5 बुर्ज खलीफा को एक के ऊपर एक रख दी जाये उतनी, ये प्रेशर 3000-6000 psi तक होता है, यानी के इतने सारे पानी के प्रेशर को आप अंदाज़ा लगाएं, ये ऐसा है जैसे आपके ऊँगली के नाख़ून के आधे इंच तक के हिस्से पे अगर एक पूरा हाथी खड़ा कर दिया जाये।
अब वो तमाम जानवर जो वहां मौजूद हैं उनपे भी पानी का इतना प्रेशर लग रहा होता है, इनसब पनडुब्बी को एक ख़ास तरीके से बनाया जाता है कि ये सारे प्रेशर बर्दाश्त कर ले।
इसके अलावा समुन्द्र में पानी का अपना ही एक फ्लो होता है, जोकि बड़े-बड़े जहाज़ को स्विंग यानी झूला झुलाते रहता है।
टाइटन के डिज़ाइन में कमी( Pandubbi News )
इस पनडुब्बी को बनाते वक़्त यक़िनन बहुत सारे सेफ़्टी का ध्यान रखा गया, लेकिन कुछ नियम ऐसे होते हैं जिनको कहा जाता है कि इनको तोड़ना नहीं चाहिए, इस नियम में से एक ये भी है कि कोई भी चीज़ जिसपे प्रेशर लग रहा हो, उसको आपको चौकोर नहीं बनाना।
इसी तरह से अगर आप ग़ौर करें तो हवाई जहाज़ कि खिड़की भी कोने पे गोल होती है, क्यूंकि हवा में ऊंचाई पे हवा का और पानी में गहरायी में पानी का स्ट्रेस का सामना करना पड़ता है, और ये ऐसी स्ट्रेस होती हैं जो जहाज के बॉडी को तोड़ना चाहती हैं।
लेकिन ये जो गोल कोने होते हैं, वो किसी भी क्रैक को होने से रोकते हैं। वो चीज़ें जो पानी के अंदर जाती हैं उनके शेप का ख़ास ख्याल रखा जाता है कि चौकोर न हों, इसलिए आपने देखा होगा कि कोई भी पनडुब्बी का शेप गोल या राउंड किया होता है, कोई कोना नहीं दिखता।
इस पनडुब्बी में एक और ख़ास चीज़ कि ज़्यादा लोगों को बैठाने के लिए इसकी लम्बाई बढ़ाई गयी थी, और इसके लिए कार्बन फाइबर और टाइटेनियम का उपयोग किया गया था, टाइटेनियम का उपयोग बहुत सही है लेकिन कार्बन फाइबर का उपयोग करना सही नहीं था।
इस कम्पनी के जो मालिक थे जिनका नाम था स्टॉकटन रश, उनका कहना कि – ” मैंने कुछ नियम को तोड़ा है और मैं चाहता हूँ कि दुनिया मुझे याद करेगी कि मैंने नियम तोड़ कर लोगों के लिए ऐसी चीज़ बनायीं “
इस पनडुब्बी के बीच में जो कार्बन फाइबर लगाया गया, वही शायद इसके फटने का कारण बना।
टाइटन के साथ उस दिन क्या हुआ( Pandubbi News )
इस पनडुब्बी की एक और ख़ास बात है कि ये ज़मीन से या ज़मीन के पास से चल कर समुन्द्र में नहीं जाती है, ये एक और जहाज़ से लॉन्च की जाती है जिसे मदरशिप कहा जाता है।
ये जो टूर प्लान किया गया था वो था 17 जून 2023 यानी रविवार के दिन, और इसमें पांच लोग मौजूद थे, इनमे से पहले कंपनी के मालिक रश और जो चार मुसाफिर थे हामिश हार्डिंग जो कि एक ब्रिटिश करोड़पति थे, दूसरे थे शहज़ादा दाऊद जो कि पाकिस्तानी अरबपति थे और उनके बेटे सुलेमान इसपे मौजूद थे और चौथे थे फ्रेंच नेवी के कप्तान पॉल हेनरी नरजोलेट।
ये पाँचो लोग एक साथ इस पनडुब्बी पे सवार हुए और 17 जून को 1 बजे दोपहर में इस पनडुब्बी ने गोता लगाना शुरू किया। इस पनडुब्बी का किराया था 2 लाख पचास हज़ार डॉलर एक मुसाफिर का।
इस पनडुब्बी को लॉन्च किया गया था इसकी मदरशिप पोलर प्रिंस से और ये करीब 435 मील दूर थी नई फोंड लैंड से, आपको बताते चलें की ये वो जगह है जहाँ टाइटैनिक दफ़न है।
टाइटैनिक जहाज़ जब टूट कर डूबा था तो इसका अगला और पिछला हिस्सा जहाँ दफ़न है उसके बीच की दूरी काफी ज़्यादा है, ये दूरी कई किलोमीटर्स में है। ये लोग अगले हिस्से के पास जा रहे थें।
इस पनडुब्बी का संपर्क अपने मदरशिप से टेक्स्ट मैसेज के ज़रिये होता था, 1 बजे पनडुब्बी ने डुबकी लगायी और करीब 2:45 में संपर्क टूट गया, इस चीज़ को बहुत गंभीर नहीं लिया गया क्यूंकि ऐसा पहले भी हो चुका था, और बाद में पनडुब्बी वापस आ गयी थी।
इस पनडुब्बी में 2 बैटरी होती थी, जिसमें अगर एक बैटरी ख़त्म हो जाये और अगर दूसरी 40 प्रतिशत तक भी आ जाये तो कप्तान को ज़रूरी था के पनडुब्बी को वापस सतह पे ले आये, क्यूंकि अगर वो ऐसा न करता तो बाद में पनडुब्बी को वापस सतह पे लाना नामुमकिन हो जाता।
यह गोता करीब ढाई घंटे का होना था, लेकिन करीब 3 बजे एक लास्ट टेक्स्ट मैसेज आया कि – हम मुसीबत में हैं, हमें मदद चाहिए। लेकिन मुझे समझ नहीं आता कि क्यों इतनी देर की गयी, क्यूंकि रात करीब 10:30 में अमेरिकन कोस्ट गार्ड को मदरशिप से इन्फॉर्म किया गया कि हमारी पनडुब्बी जो हमने पानी में भेजी थी हमारा संपर्क उससे नहीं हो पा रहा है, अमेरिकन कोस्ट गार्ड ने RCC यानी रेस्क्यू कोर्डिनेशन सेण्टर जोकि कनाडा में है को संपर्क किया और कहा के फ़ौरन आप मदद को पहुंचे, और खुद अमेरिकन कोस्ट गार्ड ने भी कार्यवाई शुरू की।
सर्च ऑपरेशन की सबसे पहली ज़िम्मेदारी ये होती है कि किसी भी तरह उस रेक को, उस जहाज़ को, उस पनडुब्बी को जल्द से जल्द ढूंढ़ना है, और उसको ढूँढना ही सबसे बड़ा मसला साबित हो रहा था, अंडरवाटर सोनार से गेजिंग की गयी, ये देखने के लिए कि अगर मलबा है तो आखिर कहाँ है और अगर पनडुब्बी है तो कहाँ है, लेकिन कोई ऐसी चीज़ नहीं मिल रही थी।
फिर गुरुवार को हमारे सामने नयी खबर निकल के आयी, जब अमेरिकन कोस्ट गार्ड एक ऐसी चीज़ बताई कि डेब्री फील्ड यानि मलबे का ढेर नार्थ अटलांटिक में मिला, जिसके बाद ऐसे शक पैदा हुए कि ये मलबा उसी पनडुब्बी का है, इस मलबे वाले घटना बाद कोस्ट गार्ड ने बताया कि रविवार के दिन जिस दिन टाइटन ग़ायब हुआ था, उन्हें समुन्द्र की सतह से करीब 3800 मीटर नीचे से उन्होंने एक ऐसी आवाज़ डिटेक्ट की थी जैसे एक इम्प्लोसन हुआ हो.
एक्सप्लोज़न बाहर के फटने को कहते हैं,और इम्प्लोसन अंदर तरफ फटकर एकदम सिकुड़ने को, इस पनडुब्बी के बारे में कहा जा रहा कि पानी के अंदर इसका ढांचा फेल हो गया।
उस वक़्त टाइटन पनडुब्बी 3800 मीटर पानी के नीचे थी, इसका मतलब उस वक़्त पनडुब्बी पे टन में प्रेशर था, तो प्रेशर में 2 मिली सेकंड से कम में पनडुब्बी इम्पलोड हो गयी होगी, और ठीक इसके बाद चुकी पनडुब्बी में हाइड्रोकार्बन भरे होते हैं, इसलिए एक्सप्लोज़न हुआ होगा और टाइटन फट गया होगा।
ये सब 7 से 8 मिली सेकंड के भीतर हो चूका होगा, और एक इंसानी दिमाग को क्या कुछ हो रहा है ये जानने में कम से कम 25 मिली सेकंड लगते हैं, यानी पाँचों मुसाफिरों को पता ही नहीं चल पाया कि उनके साथ हुआ क्या।
( Pandubbi News )
टाइटन पनडुब्बी के इस हादसे की एक और वजह बताई जा रही है कि उसमें पहले से क्रैक थे, जी हाँ 2019 में टाइटन एक बिसनेस मैन कार्ल स्टैनले नामक आदमी को टाइटैनिक के मलबे के पास लेकर गयी थी, और उस वक़्त भी इसे Oceangate के मालिक ही चला रहे थे।
कार्ल ने बताया कि जब वो नीचे जा रहे थे तो पनडुब्बी के बॉडी में से उनको क्रैकिंग की आवाज़ सुनाई दी, उस वक़्त उन्होने इसपर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया, क्यूंकि उनको Oceangate मालिक जिन्होंने इस पनडुब्बी का डिज़ाइन भी किया था, पर पूरा भरोसा था।
ख़ैर इसकी पूरी जानकारी हमारे पास तब तक नहीं आ सकती जबतक उस रैक यानि मलबे को सही से अध्ययन न किया जाये, कि आख़िरकार इस पूरे के पूरे एक्सीडेंट का क्या वजह बना, और कौन सी ऐसी वजह बनी कि पाँचो के पाँचो लोगों को अपने जान से हाँथ गवाना पड़ा।
वजह भले जो भी बनी हो लेकिन एक हक़ीक़त है कि Oceangate Titan पनडुब्बी Titanic के करीब जाकर फटी और दोनों के दोनों एक ही जगह पे 111 साल के फासले पे डूबे ।
खैर ऐसे ही टेक्निकल फैक्ट्स और नई टेक्नोलॉजी, सेहत और नई टेक्नोलॉजी से बाग़बानी के तरीकों को सीखने के लिए हमारे इस वेबसाइट hindimesara.com पे आते रहिये, अपना ढेर सारा ख्याल रखिये।