रिश्ते और गलतफहमियां | Emotional Love Stories in Hindi

Rate this post

राहुल और सिया की शादी को पाँच साल हो चुके थे। प्यार से भरी उनकी जिंदगी में अब छोटी-छोटी तकरारें जगह बनाने लगी थीं। राहुल अक्सर अपने काम में व्यस्त रहता, और सिया को लगता कि अब वह उसकी परवाह नहीं करता। उधर, राहुल को लगता कि सिया बस शिकायतें ही करती रहती है।

एक दिन, राहुल ऑफिस से देर से लौटा। सिया ने पूछा, “इतनी देर क्यों हो गई?”
राहुल ने थकान भरी आवाज़ में जवाब दिया, “काम था, सिया। हर बार सवाल करना ज़रूरी है क्या?
सिया को लगा कि राहुल अब उसके सवालों से बचने लगा है। उसकी आँखों में आंसू आ गए, पर उसने कुछ नहीं कहा।

धीरे-धीरे, उनके बीच की बातचीत कम होने लगी। सिया ने सोचा कि राहुल अब उसे पहले जैसा प्यार नहीं करता। वहीं, राहुल को लगा कि सिया अब उसे समझना नहीं चाहती।

दिल को छू लेने वाला मोड़

एक दिन सिया की सहेली ने उसे बताया कि उसने राहुल को एक लड़की के साथ देखा था। सिया का दिल टूट गया। बिना कुछ सोचे-समझे, उसने राहुल से लड़ाई कर ली।
तुम बदल गए हो, राहुल! अब तुम्हें किसी और की जरूरत है!”
राहुल हक्का-बक्का रह गया, “तुम क्या कह रही हो, सिया? मैं तुम्हारे बिना कुछ भी नहीं हूँ!”

लेकिन सिया ने कुछ नहीं सुना और गुस्से में घर छोड़कर मायके चली गई।

कुछ दिनों बाद, सिया को एक मैसेज मिला। ये मैसेज उसी सहेली ने किया था जिसने सिया को बताया था कि उसने राहुल को किसी लड़की के साथ देखा है। मैसेज में लिखा था “अरे सिया वो लड़की तो राहुल की बहन थी”,सिया को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने राहुल से बात करने का फैसला किया।

प्यार की सच्ची ताकत

जब वह वापस लौटी, तो राहुल बालकनी में खड़ा बारिश में भीग रहा था। उसकी आँखें सूजी हुई थीं।
सिया ने काँपती आवाज़ में कहा, “मुझे माफ कर दो, राहुल। मैंने तुम पर भरोसा नहीं किया।

राहुल ने उसे कसकर गले लगा लिया और कहा, “तुम मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत हिस्सा हो, सिया। लेकिन प्यार में भरोसा सबसे ज़रूरी होता है। अगली बार, हम बात करेंगे… लड़ेंगे नहीं।”

बारिश की ठंडी फुहारों के बीच, दोनों की आँखों में आंसू थे, लेकिन इस बार, वो दर्द के नहीं, प्यार के थे।

सीख

रिश्तों में गलतफहमियाँ आ सकती हैं, लेकिन सच्चा प्यार भरोसे और समझ से ही मजबूत बनता है। 💖

नौकरी और परिवार की कहानी | Emotional Love Story in Hindi

रवि और साक्षी की शादी को सात साल हो चुके थे। दोनों अच्छी नौकरियों में थे और अपने करियर को लेकर बहुत गंभीर थे। उनकी पाँच साल की बेटी, परी, उनके जीवन की रोशनी थी, लेकिन बिजी रहने के कारण वे उसे पूरा समय नहीं दे पा रहे थे।

Emotional Love Story in Hindi
Emotional Love Stories in Hindi

सुबह का समय हमेशा भागदौड़ में बीतता। रवि जल्दी उठकर ऑफिस की तैयारियों में लग जाता, साक्षी भी जल्दबाजी में नाश्ता बनाती और फिर ऑफिस के लिए निकल जाती। परी को घर की आया तैयार करती और स्कूल छोड़ने जाती। शाम को जब वे घर लौटते, तब तक परी सोने की तैयारी कर रही होती।

प्यार की कहानी

प्यार की कहानी: धीरे-धीरे यह दूरी उनके प्यार और रिश्ते में खटास पैदा करने लगी। रवि को शिकायत थी कि साक्षी उसके लिए समय नहीं निकालती, और साक्षी को लगता कि रवि घर के कामों में उसकी मदद नहीं करता। दोनों के बीच छोटी-छोटी बातों पर झगड़े होने लगे। परी अपने माता-पिता को यूँ बहस करते देखती और चुपचाप रोने लगती।

एक दिन, जब रवि देर रात ऑफिस से लौटा, तो देखा कि साक्षी सोफे पर बैठी रो रही थी।

क्या हुआ?” रवि ने चिंतित होकर पूछा।

साक्षी ने अपनी आँखें पोंछी और कहा, “परी आज स्कूल में रो रही थी। टीचर ने मुझसे कहा कि वो बहुत अकेला महसूस कर रही है।

रवि चुप रहा। उसे भी यह अहसास हुआ कि वे दोनों अपने करियर में इतने उलझ गए हैं कि अपनी बेटी की भावनाओं को समझ ही नहीं पा रहे।

हमें कुछ करना होगा,” रवि ने गंभीरता से कहा। “हमारी परी को माँ-बाप दोनों की ज़रूरत है।”

साक्षी ने लंबी सांस ली और कहा, “मैंने सोचा है कि मैं अपनी नौकरी छोड़ दूँगी।”

रवि चौंक गया, “पर तुम्हारी नौकरी? तुम्हारा सपना?”

साक्षी मुस्कुराई, “सपने केवल करियर तक सीमित नहीं होते। मेरा सबसे बड़ा सपना एक खुशहाल परिवार है। परी को मेरी ज़रूरत है, और मुझे खुशी होगी अगर मैं उसके साथ ज़्यादा समय बिता सकूँ।”

रवि की आँखें नम हो गईं। उसने साक्षी का हाथ थाम लिया और कहा, “शुक्रिया, साक्षी। मैं वादा करता हूँ कि मैं भी अपने ऑफिस के काम को सीमित करूँगा और तुम्हारा पूरा साथ दूँगा।”

इसके बाद, साक्षी ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और घर पर परी के साथ ज़्यादा समय बिताने लगी। परी अब खुश रहने लगी और उसके चेहरे पर पहले जैसी मासूम हँसी लौट आई। रवि भी ऑफिस से जल्दी घर आने की कोशिश करता, और वे तीनों साथ में समय बिताने लगे।

इसे भी पढ़ें – असली भूतिया कोठी का रहस्य

उनके रिश्ते में फिर से प्यार और समझदारी लौट आई। अब वे एक-दूसरे को बेहतर समझने लगे और छोटी-छोटी खुशियों को तर्जी देने लगे।

इस तरह, साक्षी के एक फैसले ने उनके परिवार को टूटने से बचा लिया। कभी-कभी प्यार का मतलब बलिदान भी होता है, और साक्षी ने यह साबित कर दिया कि सच्चा प्यार सिर्फ़ शब्दों से नहीं, बल्कि कर्मों से भी दिखाया जाता है

Leave a comment